आ तवाहार्षमन्तरेधि धरुवस्तिष्ठाविचाचलिः |
विशस्त्वा सर्वा वाञ्छन्तु मा तवद राष्ट्रमधि भरशत ||
इहैवैधि माप चयोष्ठाः पर्वत इवाविचाचलिः |
इन्द्रैवेह धरुवस्तिष्ठेह राष्ट्रमु धारय ||
इममिन्द्रो अदीधरद धरुवं धरुवेण हविषा |
तस्मै सोमोधि बरवत तस्मा उ बरह्मणस पतिः ||
धरुवा दयौर्ध्रुवा पर्थिवी धरुवासः पर्वता इमे |
धरुवं विश्वमिदं जगद धरुवो राजा विशामयम ||
धरुवं ते राजा वरुणो धरुवं देवो बर्हस्पतिः |
धरुवं त इन्द्रश्चाग्निश्च राष्ट्रं धारयतां धरुवम ||
धरुवं धरुवेण हविषाभि सोमं मर्शामसि |
अथो तैन्द्रः केवलीर्विशो बलिह्र्तस करत ||
http://www.vogaz.com
विशस्त्वा सर्वा वाञ्छन्तु मा तवद राष्ट्रमधि भरशत ||
इहैवैधि माप चयोष्ठाः पर्वत इवाविचाचलिः |
इन्द्रैवेह धरुवस्तिष्ठेह राष्ट्रमु धारय ||
इममिन्द्रो अदीधरद धरुवं धरुवेण हविषा |
तस्मै सोमोधि बरवत तस्मा उ बरह्मणस पतिः ||
धरुवा दयौर्ध्रुवा पर्थिवी धरुवासः पर्वता इमे |
धरुवं विश्वमिदं जगद धरुवो राजा विशामयम ||
धरुवं ते राजा वरुणो धरुवं देवो बर्हस्पतिः |
धरुवं त इन्द्रश्चाग्निश्च राष्ट्रं धारयतां धरुवम ||
धरुवं धरुवेण हविषाभि सोमं मर्शामसि |
अथो तैन्द्रः केवलीर्विशो बलिह्र्तस करत ||
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