इति वा इति मे मनो गामश्वं सनुयामिति |
कुवित्सोमस्यापामिति ||
पर वाता इव दोधत उन मा पीता अयंसत |
कुवित ... ||
उन मा पीता अयंसत रथमश्वा इवाशवः |
कुवित ... ||
उप मा मतिरस्थित वाश्रा पुत्रमिव परियम |
कुवित ... ||
अहं तष्टेव वन्धुरं पर्यचामि हर्दा मतिम |
कुवित ... ||
नहि मे अक्षिपच्चनाछान्त्सुः पञ्च कर्ष्टयः |
कुवित ... ||
नहि मे रोदसी उभे अन्यं पक्षं चन परति |
कुवित ... ||
अभि दयां महिना भुवमभीमां पर्थिवीं महीम |
कुवित... ||
हन्ताहं पर्थिवीमिमां नि दधानीह वेह वा |
कुवित ... ||
ओषमित पर्थिवीमहं जङघनानीह वेह वा |
कुवित ... ||
दिवि मे अन्यः पक्षो.अधो अन्यमचीक्र्षम |
कुवित ... ||
अहमस्मि महामहो.अभिनभ्यमुदीषितः |
कुवित ... ||
गर्हो याम्यरंक्र्तो देवेभ्यो हव्यवाहनः |
कुवित ... ||
http://www.vogaz.com
कुवित्सोमस्यापामिति ||
पर वाता इव दोधत उन मा पीता अयंसत |
कुवित ... ||
उन मा पीता अयंसत रथमश्वा इवाशवः |
कुवित ... ||
उप मा मतिरस्थित वाश्रा पुत्रमिव परियम |
कुवित ... ||
अहं तष्टेव वन्धुरं पर्यचामि हर्दा मतिम |
कुवित ... ||
नहि मे अक्षिपच्चनाछान्त्सुः पञ्च कर्ष्टयः |
कुवित ... ||
नहि मे रोदसी उभे अन्यं पक्षं चन परति |
कुवित ... ||
अभि दयां महिना भुवमभीमां पर्थिवीं महीम |
कुवित... ||
हन्ताहं पर्थिवीमिमां नि दधानीह वेह वा |
कुवित ... ||
ओषमित पर्थिवीमहं जङघनानीह वेह वा |
कुवित ... ||
दिवि मे अन्यः पक्षो.अधो अन्यमचीक्र्षम |
कुवित ... ||
अहमस्मि महामहो.अभिनभ्यमुदीषितः |
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गर्हो याम्यरंक्र्तो देवेभ्यो हव्यवाहनः |
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